बोनस की जीत, गेवरा कोयला क्षेत्र में बंसल कंपनी के मजदूरों का हड़ताल समाप्त, एसईसीएल जीएम कार्यालय पर प्रदर्शन के बाद बोनस का भुगतान
बोनस की जीत, गेवरा कोयला क्षेत्र में बंसल कंपनी के मजदूरों का हड़ताल समाप्त, एसईसीएल जीएम कार्यालय पर प्रदर्शन के बाद बोनस का भुगतान

कोरबा/दीपका (छत्तीसगढ़), 18 अक्टूबर 2025
दक्षिण पूर्व कोयला क्षेत्र (एसईसीएल) के गेवरा क्षेत्र में बंसल कंपनी के ठेका मजदूरों ने बोनस न मिलने के विरोध में हड़ताल शुरू की थी। आज एसईसीएल मुख्य महाप्रबंधक (जीएम) गेवरा क्षेत्र के कार्यालय पर धरना देकर और काम पूरी तरह बंद करके मजदूरों ने अपना विरोध दर्ज किया। उनका स्पष्ट संदेश था- जब तक बोनस का भुगतान नहीं होगा, तब तक काम नहीं चलेगा।
प्रदर्शनकारियों ने एकजुट होकर अपने हक के लिए लड़ाई लड़ी। इस आंदोलन को छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना गैर राजनीतिक संगठन के प्रदेश संगठन मंत्री उमागोपाल का समर्थन प्राप्त था। उन्होंने मजदूरों को संबोधित करते हुए कहा कि यह संघर्ष बोनस के साथ-साथ ठेका मजदूरों के हक-अधिकारों की रक्षा के लिए है। संगठन ने एसईसीएल प्रबंधन और बंसल कंपनी पर दबाव बनाने की चेतावनी दी थी।
गेवरा क्षेत्र, जो एशिया का सबसे बड़ा ओपन कास्ट कोयला खदान परिसर है, में सेलो के निर्माण कार्य में 200 से ज्यादा मजदूर कार्यरत हैं। मजदूरों ने आरोप लगाया था कि फेस्टिवल सीजन और दिवाली के बावजूद बंसल कंपनी ने बोनस वितरण में देरी की, जो उनकी साल भर की मेहनत का हिस्सा है। हड़ताल से निर्माण कार्य प्रभावित हुआ, जिससे एसईसीएल को आर्थिक नुकसान का खतरा था।
पिछले वर्षों में भी एसईसीएल के विभिन्न क्षेत्रों में बोनस, वेतन असमानता और लाभों को लेकर हड़तालें हुई हैं, जैसे 2024 में कोरबा के मणिकपुर खदान में कालिंगा कंपनी के कर्मचारियों का चार दिवसीय धरना। इस बार मजदूरों की एकजुटता और दबाव के आगे बंसल कंपनी को झुकना पड़ा।
बोनस की जीत!
मजदूरों के अथक संघर्ष और प्रदर्शन के बाद बंसल कंपनी ने शाम तक पूर्ण बोनस राशि का भुगतान कर दिया। यह जीत मजदूरों के चेहरों पर विजय की मुस्कान लाई। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के उमागोपाल ने इसे ठेका श्रमिकों की सामूहिक ताकत का प्रतीक बताया। एसईसीएल प्रबंधन ने भी विवाद सुलझाने में सहयोग का आश्वासन दिया। कल से निर्माण कार्य सामान्य रूप से शुरू होने की उम्मीद है, लेकिन संगठन ने भविष्य में ऐसी देरी न दोहराने की चेतावनी दी। यह घटना छत्तीसगढ़ के कोयला क्षेत्र में ठेका मजदूरों के संघर्ष की एक मिसाल बन गई है।







































































































































































































































































































































































































