कश्मीर पर उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला : विशेष दर्जे वाले अनुच्छेद 370 के हटाए जाने को ठहराया सही
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को देश के उच्चतम न्यायालय ने सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट की
पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 5 अगस्त 2019 को किए गए फैसले पर सोमवार को एक बार फिर मुहर लगा दी है। तब केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू- कश्मीर को मिला विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था। इस फैसले के
खिलाफ 23 याचिकाएं लगीं थी। जिन पर अब संविधान पीठ ने फैसला दे दिया है।
अब यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो चुकी है कि कश्मीर में कोई विशेष कानून नहीं होगा। जिस तरह का कानून देश के सभी राज्यों में है। ठीक वैसा ही कानून कश्मीर में भी लागू रहेगा, देश के नागरिकों को जो अधिकार देश के अन्य हिस्सों में मिलते हैं। वही अधिकार कश्मीर में भी मिलेंगे।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस
सूर्यकांत, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ 3 अलग-अलग विचार होने के बावजूद एकमत होकर संयुक्त तौर पर यह फैसला दिया है। फैले में यह भी कहा गया है कि 1947 में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर के पास संप्रभुता का
कोई तत्व नहीं है। इसलिए कोर्ट केंद्र सरकार के फसले में दखल नहीं देगी।
सितंबर 2024 तक चुनाव कराने के भी आदेश –
कश्मीर पर बड़ा फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने ने केंद्र को यह आदेश भी दिया है कि वह
सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में
चुनाव कराएं, और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करें।
मोदी ने कहा फैसला आशा की किरण-
इस बीच, पीएम नरेंद्र मोदी
ने इस ऐतिहासिक फैसले पर अपने प्रतिक्रिया दी है उन्होंने कहा कि कहा- फैसला आशा की किरण है। इधर, जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक और जम्मू-कश्मीर
पुनर्गठन संशोधन विधेयक लोकसभा के बाद सोमवार को राज्यसभा में भी पास हो गया है।
476 पेज का फैसला –
इस ऐतिहासिक फैसले में उच्चतम न्यायालय ने 376 पेज जारी किया है। सीजेआई ने कहा कि यह कोर्ट भारत के राष्ट्रपति के निर्णय के खिलाफ अपील पर सुनवाई नहीं कर सकती।
केंद्र सरकार ने सदन में दिए विकास के ये आंकड़े –
- 2019 के पहले
जम्मू-कश्मीर एक
लाख करोड़ जीएसटी
देता था, अब 2.27
लाख करोड़ दे रहा। - पहले 94 कॉलेज
थे, अब 147 हैं। - 70 साल में वहां 4
मेडिकल कॉलेज थे,
अब 7 नए बने हैं।
15 नर्सिंग कॉलेज हैं। - पहले 6 लाख को
मिड डे मील मिलता
था, अब 9.13 लाख
को मिल रहा।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट
में 173 काम हुए।
- 70 साल में गरीबों
के 24 हजार घर
बने थे, पांच साल में
1.45 लाख बन चुके। - पहले पेंशनभोगी 6
लाख थे, अब 10
लाख से ज्यादा हैं।