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अयोध्या दीपोत्सव 2025: 28 लाख दीपों से जगमगाएंगे सरयू के घाट, इतिहास रचने को तैयार राम नगरी

अयोध्या दीपोत्सव 2025: 28 लाख दीपों से जगमगाएंगे सरयू के घाट, इतिहास रचने को तैयार राम नगरी

 

अयोध्या इस साल के दीपोत्सव 2025 के लिए पूरी तरह तैयार है और एक बार फिर इतिहास रचने जा रही है। सरयू नदी के 56 घाटों को इस बार 28 लाख दीपों की रोशनी से सजाया जाएगा, जो शहर को दिव्यता और आस्था से भर देगा

33,000 स्वयंसेवकों की टीम तैयार
इस आयोजन को सफल बनाने के लिए लगभग 33,000 स्वयंसेवक, जिनमें छात्र, शिक्षक और स्थानीय निवासी शामिल हैं, लगातार मेहनत कर रहे हैं। ये लोग घाटों की सफाई, सजावट और दीपों की व्यवस्था में जुटे हैं। सभी स्वयंसेवकों को पहचान पत्र और विशेष टी-शर्ट दी गई है, और केवल वैध पहचान पत्र वाले लोगों को घाटों पर प्रवेश की अनुमति है।

पुष्पक विमान बनेगा आकर्षण का केंद्र
इस वर्ष का एक खास आकर्षण राम की पैड़ी पर स्थापित 32 फुट ऊंचा “पुष्पक विमान” होगा। इसमें रामायण के दृश्य जीवंत रूप में दिखाए जाएंगे ताकि आगंतुकों को महाकाव्य रामायण का अनुभव सीधे देखने को मिले। यह विशेष सजावट लोगों को रामायण काल की झलक देगी।

 

 

सुरक्षा और सफाई पर विशेष ध्यान
घाटों पर खाद्य सुरक्षा दल सक्रिय रहेंगे, ताकि प्रसाद और खाने-पीने की चीज़ों में गुणवत्ता बनी रहे। प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं, जिससे श्रद्धालु और पर्यटक सुरक्षित तरीके से उत्सव का आनंद ले सकें।

धार्मिक रस्में और देशी उत्पादों का समर्थन
महामंडलेश्वर विष्णु दास जी महाराज ने बताया कि अयोध्या में दिवाली की शुरुआत पारंपरिक ढंग से हुई, जिसमें भगवान राम, सरयू नदी, माता सीता, हनुमान जी और पूरे राम दरबार के लिए दीप जलाए गए। सरयू नदी को राम की बड़ी बहन माना जाता है, इसलिए वहां दीपदान की खास परंपरा है। संत दिवाकराचार्य जी महाराज ने कहा कि यह दिवाली बेहद खास है क्योंकि रामलला अब भव्य मंदिर में विराजमान हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि इस बार स्वदेशी उत्पादों और स्थानीय कुम्हारों के बनाए मिट्टी के दीयोंका ही उपयोग करें।

इस साल की दिवाली क्यों है खास?
28 लाख दीपक जलाने का रिकॉर्ड बनने की उम्मीद
पुष्पक विमान के माध्यम से रामायण दर्शन
33,000 स्वयंसेवकों की सक्रिय भागीदारी
देशी दीयों और स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा

यह दीपोत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत, लोक सहभागिता और स्वदेशी आत्मनिर्भरता का भी एक शानदार उदाहरण बनने जा रहा है। अयोध्या का यह दिव्य उत्सव देशभर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगा।